सुना है बचपन से मैंने ,समय बड़ा बलवान है.
मान गया मैं भी ,यह हनुमान से भी बलवान है
पर एक सवाल मुझे इसकी दुर्बलता को दर्शाता है.
आखिर बीता हुआ समय वापस क्यों नहीं आता है।
क्यों ना हम बचपन की उन यादों को जी पातें हैं
क्यों न हम हम फिर बेफिक्र हो गप्पे लड़ते हैं.
क्यों न हमे हमारी दोस्ती वापस न मिल पाती हैं
जो वक़्त की इस दौड में खोखली नज़र आती हैं
क्यों ना सब पहले सा हो पाता है।
क्यों न हम अपने दादा -दादी की गोद में वापस खेल पातें हैं
क्यों न हम हम स्कूल के वो दिन वापस ला पातें हैं।
जँहा हम लड़ झगड़ के अपना प्यार जताते हैं
क्यों न हमारी सरारतें वापस आ पातीं हैं
सुकून कँहा हैं रफ़्तार में सब जगह आपाधापी है।
समय अगर तू बलवान है तो यह बता
क्यों तू बीता हुआ कल न वापस ला पाता है.
जानता हूँ मैं बीता हुआ समय ,इस रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में वापस न आएगा
वो बस यादों के बहाने हमें खूब रुलाएगा -हसाएगा।
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