Sunday, April 1, 2018

असर 2017 के अनुसार  53% युवा सामान्य गणित के सवालों में उलझे , मौजूदा शिक्षा  वेवस्था पर सवाल




अपने देश में कुछ तस्वीर कभी नही बदलती यदि बदलती  है  तो  और विद्रूप होने के लिए  देश में प्राथमिक ओर माध्यामिक  शिक्षा की तस्वीर भी ऐसी हैं .
गैर सरकारी संस्था “प्रथम”  दवारा अभी  प्रकाशित “ 12 एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट  या “असर “  रिपोर्ट इसका  जीता जगता सबूत  है  की   देश में  शिक्षा के  कानून  होने के पश्चात प्राथमिक ओर  माध्यमिक स्तर की शिक्षा की क्या  स्तिथि है.  यह रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है की अनेको कोशिशो के बाद भी कोई वेवस्था  मूल रूप से समस्या को समझ नही पाई है.
शिक्षा का कानून बनने के चलते आपको  लग सकता है की अब माध्यामिक स्तर तक की अनिवार्य ओर निशुल्क शिक्षा सबको सहज प्राप्त है.
 देश  में   6 से  14 साल की उम्र के बच्चों की नामांकन अब 96 फीसदी तक  पहुच चुकी है (2014 असर रिपोर्ट दवारा)  यानि  शिक्षा का अधिकार कानून  लागु  होने के बाद  से स्कूल से वंचित बच्चों की संख्या में भरी कमी आयी है .इस रुझान के आधार पर कहा जा सकता है की वह दिन  भी  आजायेगा , जब देश में  कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नही रहेगा. लेकिन शिक्षा का असल में बच्चों के दाखिले का  मामला नही है  . एक बुनियादी  जरुरत  के रूप में  शिक्षा का सवाल हमेशा उसकी  गुणवता से जुड़ता है ओर  बहुत हद तक पठन-पाठन के लिए जरुरी संसाधनों  ,जैसे  स्कूल भवन ,पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक ,किताब,लाइब्रेरी,   पेयजल आदि की  उपलब्धता से सुनिस्थित होती है .
12 एनुअल  स्टेटस  ऑफ़ एजुकेशन  रिपोर्ट   ( असर)   बच्चों के स्कूल में नामांकन  ओर बुनयादी  पढने ओर  गणित करने की  (छमता)  के बारे में बता रहा है
वर्ष 2017 में  असर 14 से 18 वर्ष के युवा पर केन्द्रित है  जिन्होंने ने प्रारंभिक शिक्षण की आयु को पर कर लिया है.

भारत की जनगणना 2011 के अनुसार भारत में  वर्तमान में पर्त्येक दस भारतियों में से एक 14 से 18 आयु वर्ग में है. अर्थात इस आयु वर्ग  के युवाओं की कुल संख्या 10 करोड़ है . इन्ही सभी पहलुऔ के कारण वर्ष 2017 में ध्यान 14 से 18 वर्ष के युवाओ पर कन्द्रित किया गया है.


असर 2017 सर्वेक्षण में पढने तथा गणित करने की बुनयादी चम्ताओं  से  आगे अर्थात  “बियॉन्ड बेसिक्स “ देखने की एक पहल  है  . इसमें चार  डोमेन शामिल  है  - गतिविधि  ,छमता ,जागरूरता और    आकांक्षाएँ   

असर २०१७ ,२४ राज्यों के कुल 28 जिलों में कार्यान्वित किया गया है. 35 सहभागी संस्थानों के लगभग 2000 सस्वम्सेवकों ने १०६४१ गांवो के २५००० से अधिक घरो में जाकर , 14 से 18 आयु वर्ग के ३०००० से अधिक युवाओं का सर्वेक्षण किया है.
 असर २०१७ में  14 से १८ वर्ष के युवाओं से अपेक्षा की गयी थी है की वो ऐसे   कई दैनिक कार्य करने में सक्षम हो ,जिनमे बुनयादी पढने और गणित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है | इस आयु  वर्ग के कई युवा ऐसे  है जो ८ वर्षों की प्रारंभिक शिक्षण पूरा करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं |अत : सामान्य गणनाए करना एवं सही निर्णय लेना उनके लिए ही नही इनके पुरे पर्तिवर के लिए महतापूर्ण है |
असर २०१७ में दैनिक कार्यों की सरल गतिविधियों का चयन किया गया जैसे की पैसे गिनना ,वजन जोड़ना और समय बताना | कुल कितने रूपे हैं इसकी गिनती केवल ७६ फिसदी सर्वेक्षित युवा कर पाए | ५६ % युवा किलोग्राम में सही वजन जोड़ के बता सके |८३ % युवाओं ने सरल प्रश्नं (केवल घंटे बताना )का सही उत्तर दिया |

भूगोल ओर सामान्य ज्ञान की कितनी जानकारी है इसका भी सर्वेक्षण किया गया |इसमें भारत का नक्षा दिखाकात्र किस देश का नक्षा है में ८६ युवाओं ने सही उत्तर दिया  ,देश की राजधानी क्या है इसमें ६४% ने सही उत्तर दिया|कुल मिलाकर यह देखा गया की बुन्यादी क्षमताएं जैसे पढना ओर गणित करना दैनिक कार्य ओर सामान्य गणनाए करने में सहयोगी है |हालाँकि ऐसे भी युवा जो इन बुनयादी कार्यों को करना जानते हैं इन दैनिक कार्यों को सही तरीके से पूरा नही कर पते हैं |जैसा की अनुमानित था 14 से 18 आयु वर्ग के युवाओं में मोबाइल फ़ोन का उपयोग व्यापक है |७३% युवाओं ने पिछले एक सप्ताह में मोबाइल फ़ोन का इस्तमाल किया था |यह भी देखा गया की १२% लड़कों  ने मोबाइल फ़ोन का उपयोग कभी नही किया  जबकि यह अनुपात लड़कियों में काफी अधिक २२% हैं | वैसे ही लड़कों की तुलना में लड़कियों की कंप्यूटर और इन्टरनेट तक पहुच कम है | जबकि ४९% लड़कों ने इन्टरनेट का उपयोग कभी नही किया लड़कियों में यह अनुपात ७६ % है |
डिजिटल उपकरणों के ईस्तमाल की तुलना में पारंपरिक मीडिया के उपयोग में लड़कों ओर लड़कियों के बिच अंतर कम था वित्त्ये प्रक्रियों एवं संस्थानों में सहभागिता के सन्दर्भ में लगभग ७५ % युवाओं के पास बैंक का खता  हैं |५१% युवाओं ने बैंक में पैसे जमा किये या निकाले हैं |१६% युवाओं ने एटीएम या डेबिट कार्ड का उपयोग किया है ,परन्तु केवल ५% ने किसी पेमेंट अप्प नेट \मोबाइल बैंकिंग द्वारा लेन देन किया है | 14 से 18 आयु वर्ग के लगभग ६०% युवा कक्षा १२ से आगे पढना चाहते है |लड़के ओर लड़कियों की व्यवसाहिक अकांशयो में अंतर स्पष्ट दिखाई देता है  वर्ष ज्यादात्तर लड़के सेना \पुलिस में भर्ती या इंजिनियर बनने की आकांशा रखते है | वहीँ लड़कियों ने शिक्षक या नर्स बनने की और पप्राथमिकता दिखाई |अंत में ४०% युवाओं के लिए उस व्यवसाय के लिए कोई भी प्रेना स्रोत नहीं है, जिससे करने की वे आकांशा रखते है |

यदि हम यह सुनिशित नहीं करेंगे कि इन युवाओं  को वह ज्ञान ,कौशल और अवसर प्राप्त हो जिनकी उन्हें स्वम को  एवम  अपने परिवार ओर समाज को आगे ले जाने के लिए जरुरत है, तो भारत अपने प्रतीक्षित “ डेमोग्राफिक डीविडेड “ का लाभ नही उठा पायेगा . भारत देश  2020 तक सबसे ज्यादा युवा जनशंख्या वाला देश होगा ओर ऐसे समय पर उनकी की गुणवार्ता ओर सामन्या कौशल का विकाश नही किया गया तो इस युवा देश के विकलांग युवा  हो जायेंगे . सरकार दवारा सार्थक कोशिश जरी है फिरभी  वक़्त ओर हालत को देखते हुवे  एक राष्ट्र के रूप में हमें इस आयु वर्ग के युवाओं  पर  तुरंत ध्यान देने की जरुरत है.

    

                                                                                                        विशाल कुमार रंजन 






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