पैसे की चाह अजीब है जिसके पास है सबको लगे वही अमीर है ,
जो पैसे कमायेगा वही समाज में सफल कहलायेग,
क्या फायदा उन पैसो का जो भूखे को मार दे ,
क्या करेगा वह पैसा जो गरीबो के घर उजाड़ दे ,
वक़्त बड़ा बलवान है पैसा समय के संग खत्म हो जायेगा,
समाज़वाद के नाम पर सिर्फ पैसा -पैसा नज़र आएगा।
कल के आज आज से कल समय बदलता जाता है
कोई आता है कोई जाता है।
लेकिन इस महाकाल पैसे का मोह वंही रह जाता है.
बापू जैसा परवर्तन कोई नहीं ला पायेगा
पैसा परिवर्तन कि सोच पर हरदम भरी नज़र आएगा।
रख पैसे जेब में दिमाग दौड़ाओ
खद को देखो समाज को देखो परिवर्तन की तरफ कदम बढ़ाओ
क्या करेगा पैसा जब इंसान ही मर जायेगा।
क्या करेंगे डॉक्टर -इंजीनियर जब इंसानियत ही मार दी जाएगी
इन पैसो कि भूख को परिवर्तन की सोच ही बचा पायेगी।
वरना इंसान तो रहेंगे बेसक बस इंसानियत मर जाएगी।
कवि -विशाल कुमार रंजन
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