Tuesday, September 4, 2018

एक यात्रा बदलाव की जमशेदपुर से दिल्ली




भारत इंधन की अत्यधिक बर्बादी की वजह से ऊर्जा संकट की ओर बढ़ रहा है , योजना आयोग की 2006 एकीकृत ऊर्जा नीति के अनुसार ऊर्जा की लागत भारत में देश की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक होगी जो जीडीपी विकास दर 7-8 प्रतिशत रख सकती है।
भारत देश पेट्रोलियम उत्पादों को आयात करने पर सालाना 4.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है . लोगों के उदासीन रवैया से परेशान जब मैंने राष्ट्रहित राष्ट्र सेवा योजना से जुड़े संकल्प क्या तुम मेरे मस्तिष्क में यह साफ था कि अगर मैं समाज से कुछ सीखता हूं तो मेरा कर्तव्य है कि मैं भी समाज को उतना ही योगदान दे सकू ।
जब 2016 में राष्ट्र सेवा योजना जोड़ो और काम करना शुरू किया तो इससे मुझे समाज व्यक्ति और पर्यावरण के प्रति प्रति जागरूक और कर्मठ होकर कार्य करने की प्रेरणा मिली । वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान और रक्तदान अभियान आदि कार्यक्रमों में मैंने तन मन से अपना योगदान दिया। इस दौरान मुझे कॉलेज का बेहतर स्वयंसेवक के सम्मान से भी नवाजा गया जिस से प्रेरित होकर मुझे देशहित में कुछ ऐसा करने की इच्छा हुई जो लोगों को पर्यावरण और इंधन को संरक्षित करने के बारे में जागरुक करने का ख्याल आया इसका मुख्य कारण क्या था कि इंजन की कीमत कितनी भी क्यों ना बढ़ जाए देशवासी इन दिनों का ईंधन का उपयोग करना नहीं छोड़ते हैं और ना ही उस को संरक्षित करने के बारे में सोचते हैं और इन दोनों के अत्यधिक उपयोग के कारण पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है।
इसके बाद मैंने एक कठिन और मुश्किल राकेश है किया और तय किया कि जमशेदपुर से दिल्ली तक साइकिल से यात्रा करूंगा इसको लेकर मैंने लोगों से उनकी राय मांगी तो लोगों ने जवाब में कहा इससे कुछ नहीं होने वाला बेकार में अपना समय व्यर्थ मत करो सब को नजरअंदाज करते हुए मैं अपने कॉलेज के प्रधानाचार्य और राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ भूषण कुमार सिंह से विचार विमर्श करने गया तो उन्होंने हामी भर दी लेकिन आर्थिक सहयोग के बिना सफल ना था इसके बाद उन्होंने मुझे कोल्हान विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से मिलने और इस पहल के बारे में अवगत कराने को कहा तब मैं चाईबासा कोल्हान विश्वविद्यालय जाकर वह पदाधिकारियों से मिला अपना सारा कागजात कॉलेज के प्राचार्य से फॉरवर्ड कराकर विश्वविद्यालय में जमा कराया लेकिन समय नजदीक आता जा रहा था और  कोई जवाब नहीं मिलने पर मैं थोड़ा निराश हो गया था लेकिन फिर पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि कोल्हान छात्र संघ और एन.एस.एस स्वयंसेवक अखिलेश कुमार सिंह , मृतुजय कुमार और कॉलेज के छात्र संघ सचिव अभिषेक कुमार के सहयोग से कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति महोदया से जब मिला और मामले से उन्हें अवगत कराया तो उन्होंने तुरंत मामले को संज्ञान में लिया और विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. ए.के.झा से इसकी जानकारी ली तो उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर फाइल को मंगवाया और कुलपति और विश्वविद्यालय के प्रवक्ता के सहयोग से विश्वविद्यालय की ओर से 31303 रुपए की सहायता राशि प्राप्त हुई जिससे मैंने यात्रा के लिए साइकिल रास्ते के लिए कुछ सामग्री खरीदा ।

2 अगस्त 2018 को जमशेदपुर को-ऑपरेटिंव कॉलेज के प्रांगन से सुबह करीब 11:00 बजे कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. ए.के.झा, विश्वविद्यालय के जन सुचना पदाधिकारी डॉ. संजीव आनंद, विश्वविद्यालय एन.एस.एस समन्वयक डॉ. प्रसून दत सिंह, कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एन.आर.चक्रवर्ती, एन.एस.एस समन्वयक डॉ. भूषण सिंह, अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय यादव, शंख्याकी के विभागाध्यक्ष डॉ. के.एम.महतो, परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजीव सिंह , पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि कोल्हान छात्र संघ और एन.एस.एस स्वयंसेवक अखिलेश कुमार सिंह , मृतुजय कुमार, राजिव रंजन कुमार, सुजीत प्रजापति, रितेश कुमार मिश्रा, विकास कुमार, सुधीर कुमार, कॉल्लेज के छात्र रोजित कुमार, पवन सिंह, प्रिस कुमार आदि मौजूद थे .

2 अगस्त  चौका में अभाविप और जिला प्रशाशन के जवान ने किया स्वागतन इस दौरान कुछ  वक़्त मुझे  बारिश और घाटी  का सामना करना पड़ा । एक पल के लिए  मुझे लगा कि  शायद  मै  यह  सफर  नहीं  कर  पायूँगा  लेकिन जब लोग मुझे  साबशी देते और मेरी तारीफ़ करते  मुझे  सलाम करते रास्ते  में साहसिक  कदम  के लिए तो मै  उत्साह से और तेज़ साइकिल चलता ।  पहले दिन  मैंने 135 किलोमीटर  साइकिल  चलते  हुवे रात 11:30  बजे  रांची  पंहुचा, और अगले दिन थकान होने के कारण थोडा देर से अपने सफ़र का सुरुआत कर सका और रामगढ़ के लिए निकला .


दुसरे  दिन  रामगढ  पहुचने  पर अभाविप के जिला संयोजक गौतम कुमार के नेतृत्व में अभाविप कार्यकर्ताओ और जिला प्रशासन के पदाधिकारियों ने मेरा माला पहना कर किया स्वागत और  मुझे  शाबाशी दिए और मेरे द्वारा किये गए कार्य की सराहना की जिससे मेरे अन्दर उर्जा का संचार हो गाया और फिर अपने सफ़र के लिए रवाना हो गया और शाम होने पर हजारीबाग – रामगढ़ के बिच रुक कर मंदिर के प्रागण में रात बिताया |
  

तीसरे दिन हजारीबाग पहुचने  पर आनंदा महाविधालय में अभाविप के रौशन सिंह के नेतृत्व में अभाविप कार्यकर्ताओ और एन.एस.एस स्वयंसेवको ने प्राचार्य ओ.पी शर्मा की मौजूदगी में मेरा माला पहना कर स्वागत किया और  मुझे छात्रो को संबोधित करने का मौका मिला और छात्रो के बिच अपनी बात रखा जिसमे इंधन और पर्यावरण को संरक्षित करने के बारे में बताया .

आनंदा के बाद संत कोलंबस महाविधालय में अभाविप के रौशन सिंह के नेतृत्व में अभाविप कार्यकर्ताओ ने पुष्प देकर समानित किया इसके बाद चौपारण के लिए निकला और वहां रास्ते में विश्राम कर सुबह  गया के लिए रवाना हो गया  .




चौथे दिन गया पंहुचा वहां कुछ छात्रो से रूबरू हुआ उन्हें अपने यात्रा के बारे में बताया और फिर गया (बिहार) से औरंगाबाद के लिए रवाना हो गया .


औरंगाबाद में अभाविप बिहार के पूर्व प्रदेश मंत्री दीपक कुमार के नेतृत्व में अभाविप कार्यकर्ताओ ने पुष्प देकर समानित किया इसके बाद वहां अभाविप के कार्यालय में विश्राम कर सुबह मोहनिया के लिए रवाना हो गया  .


पांचवे दिन शाशराम से निकलते हुये मंदिर परिसर लोगो को यात्रा के बाड़े में बताते हुये मोहनीय पहुँचा और वही पे पहुच कर में आराम किया और फिर अगली सुबह बनारस के लिए रवाना हुआ.


छठे दिन बनारस पंहुचा और रास्ते में एक ढाबे में रुका फिर अगली सुबह इलाहबाद के लिए रवाना हुआ और सबसे अच्छी बात यह थी की जब उस ढाबे के मालिक को मेरे पहल के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरे खाने के पैसे तक लेने से इनकार कर दिया .



सातवे दिन बनारस से निकल कर इलाहबाद पंहुचा यह दिन मेरे पुरे यात्रा का सबसे मुश्किल दिन था इस दिन मैंने करीब 190 किलोमीटर की यात्रा तय किया और कावरियो से मिला और उन्हें अपनी यात्रा के बारे में बताया फिर रात विश्राम कर सुबह फतेपुर के लिए रवाना हुआ.


आठवे दिन फतेपुर पहुच कर रात्री विश्राम कर अगली सुबह कानपुर के लिए रवाना हुआ.
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नौवे दिन कानपुर पंहुचा मगर शहर में वाहा सबे ज्यादा गन्दगी पाया और वहा का  पर्यावरण गंदा पाया मनो गन्दगी का अम्बार हो यहाँ से 20 किलोमीटर दूर रात्री विश्राम कर इटवा के लिए रवाना हुआ .

दशवे दिन इटवा पहुचा रात्री विश्राम कर अगली सुबह आगरा के लिए रवाना हुआ .


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11वें दिन अगर पहुचा वहां उतरप्रदेश के पुलिस के जवान अर्जित कुमार से मिला जिन्होंने बताया की उन्होंने संकल्प लिया है की वह 1 लाख पेड़ लगायेंगे जिसमे से उन्होंने 70,000 पेड़ लगा चुके है और फिर रात्री विश्राम कर मथूरा के लिए रवाना हुआ.


12वें दिन 13 अगस्त मथुरा होते हुए रात 12 बजे तक 155 किलोमीटर का सफ़र तय कर अंततः दिल्ली पंहुचा और ढाबे में रात गुजारी .






14 अगस्त की दोपहर 12 बजे दिल्ली की उस प्रचारी का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जहां से 15 अगस्त की सुबह देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देश को संबोधित करने वाले थे और साथ ही पत्रकारों से मुखातिब हुआ और उन्हें साक्षात्कार दिया और अपने पुरे यात्रा का उद्देश्य और इसमें होने वाली कठिनाइयों से अवगत करवाया .


अपने सफर को समाप्त कर मैं राष्ट्र सेवा योजना के मुख्यालय में गया जंहा राष्ट्र सेवा योजना के डायरेक्टर वीरेंदर मिश्रा जी ने मेरा स्वागत किया और मेरी प्रशंसा की और राष्ट्र सेवा योजना के अधिकारिक ट्विटर के माध्यम  से सबको यह सूचित किया की मैं  झारखण्ड का पहला स्वयंसेवक  हूँ  जिसने यह पहल की है । इसके अलावा  डॉ  .के  दुबे युवा खेल-कूद मंत्रालय के सचिव , युवा खेल-कूद मंत्रालय के सचिव , सुनील कुमार बसुमत्री सलाहकार युवा खेल-कूद मंत्रालय भारत सरकार, कमल कुमार कर युवा खेल-कूद मंत्रालय शोशल मीडिया इंचार्ज , एवं  श्री  थांगलेमलियन  डायरेक्टर  युवा खेल-कूद मंत्रालय ने मुझे शाबाशी डी और खेल-कूद मंत्रालय के तरफ से 20 हज़ार की राशि देने की बात कही और भविष्य में ऐसे कार्य के लिए समर्थन कि बात कही । 




इसी  बीच  हमारे  देश  पूर्व  प्रधानमंत्री  श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन हो गया यह मेरी किस्मत रही की मै उनके अंतिम यात्रा में शामिल हो सका और उसके बाद दुसरे दिन मुझे  भारतीय  बौद्ध  सघ  के राष्ट्रीय  कार्यालय  में  पर्यावरण  पर  भाषण  देने  के लिए  निमंत्रण मिला जिसे स्वीकारते  हुवे   मैंने संघ के कार्यालय  में  अपना वक्तव्य  रखा जिसे सुनकर सभी बहुत प्रभावित  हुए औऱ राष्ट्रीय बौद्ध संग अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष औऱ सचिव ने मेरा स्वगात किया 




  




 दिल्ली में आखरी दिन दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रसिद्ध भोजपुरी गायक मनोज तिवारी जी से मिला. उनसे मिलकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और उन्होंने मेरा काफी सराहना किया उनसे मुझे काफी कुछ शिखने को मिला उन्होंने बताया कैसे वो इस मुकाम तक पहुचे और कितनी परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ा फिर भी वह झुके नहीं और हालत से मुकाबला करते रहे और आज इस मुकाम पर पहुचे । 







दिल्ली से वापस आने के बाद जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज प्रचार महोदय एन, आर चक्रवर्ती कोल्हान विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक  डॉ प्रसून दत्त और जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज के वाणिज्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष के डॉ के एम महतो  एनएसएस के समन्वयक डॉ भूषण कुमार सिंह और एनएसएस के स्वयंसेवक अखिलेश कुमार सिंह मृत्युंजय कुमार अभिषेक कुमार नितीश कुमार सुधीर कुमार सुजीत कुमार प्रजापति रितेश कुमार मिश्रा इत्यादि ने स्वागत किया .

जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में पूर्व गणतंत्र दिवस परेड चयन के लिए सिविर का आयोजन किया गया जिसमे राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री दीपक कुमार जी मौजूद थे उन्होंने  बहुत-बहुत बधाई दिया और पहल को सराहा और मेरे पहल को सराहा गया और मेरा स्वागत किया गया और आगे ऐसे काम करने के लिए प्रोत्साहित  किया .





आने के बाद अन्य संगठनों ने और एनजीओ ने स्वगात किया


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यात्रा से जुड़ी हुवी तस्वीरें और मीडिया  रिपोर्ट :

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